सभी महिलाओं को सुरक्षित और क़ानूनी गर्भपात का अधिकार
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- September 29, 2022
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सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को अपने एक असाधारण निर्णय में सभी महिलाओं को सुरक्षित और क़ानूनी गर्भपात का अधिकार दिया।
शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में गर्भपात के विषय में विवाहित या अविवाहित के बीच भेदभाव को असंवैधानिक करार दिया।
कोर्ट ने माना कि किसी महिला की वैवाहिक स्थिति उसको गर्भपात के अधिकार से वंचित नहीं कर सकती। शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अनचाहे गर्भपात के संबंध में विवाहित या अविवाहित के बीच भेदभाव मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक 25 वर्षीय महिला द्वारा दायर की गयी अपील की सुनवाई के बाद आया जिसमे महिला ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमे उसे गर्भपात के अधिकार से सिर्फ इस कारण से वंचित कर दिया गया था कि वह अविवाहित है और गर्भावस्था का संबंध आपसी सहमति से है।
महिला ने शीर्ष कोर्ट में कहा था कि उसके साथी ने उसके संग विवाह से इंकार कर दिया है उसके माता पिता किसान हैं और वह अपने परिवार में सब से बड़ी है इन हालात में उसके पास बच्चे के पालन पोषण का कोई साधन नहीं है।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ , जस्टिस जे बी पर्दीवाला और जस्टिस ऐ एस बोपन्ना कि खंडपीठ ने वैवाहिक बलात्कार को भी गर्भपात के दायरे में रखा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट 2021 के अंतर्गत बलात्कार कि व्याख्या में वैवाहिक बलात्कार को भी शामिल किया जाये।
CASE: X vs Principal Secretary, Health and Family Welfare Department, Govt of NCT Of Delhi, C.A 5802/2022
DOWNLOAD THE MEDICAL TERMINATION OF PREGNANCY (AMENDMENT) ACT, 2021